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अज्ञात

और फिर हम दुबारा नहीं मिले,

जाते जाते उनसे पूछना भूल गया की

एक चाय के लिए चलना था

वो कहते है न की

कुछ ख्वाईसें अधूरी ही छूटी जाती है।


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