हम कितने सुंदर हैं न ! हम यानी बस तुम और मैं नहीं। हम मतलब ये सोया दिन, ये जगी रात, ये छत और पूरा चाँद। देखो तुम फिर से हँसी। तुम्हारी दंत-पंक्ति झलकी शफ़्फ़ाफ़। क्या सोचती हो इस क्षण के बारे में? देखो च
जब तुमसे अंतिम बात हुई.. : भूल तो नहीं जाओगे मुझे?.. : कभी नहीं पर असल में अब भूलने लगा हूं, हर दिन के साथ थोड़ा थोड़ा, पहले कई बार सोचता था तुम्हें, फिर सुबह शाम तुम्हारी यादें और अब पूरा दिन ऐसे ही