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व्यर्थ

मैंने मौन चुना, क्योंकि जब मैं ये जान गया कि मेरा प्रेम तुम्हारे लिए कोई महत्व नहीं रखता है तो मेरे शब्द भी तुम्हारे लिए व्यर्थ ही हैं...!!

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जब तुमसे अंतिम बात हुई.. : भूल तो नहीं जाओगे मुझे?.. : कभी नहीं पर असल में अब भूलने लगा हूं, हर दिन के साथ थोड़ा थोड़ा, पहले कई बार सोचता था तुम्हें, फिर सुबह शाम तुम्हारी यादें और अब पूरा दिन ऐसे ही

शादी के कार्ड पर छपी डिग्रियां बताती हैं कि अब शादियां स्त्री पुरुषों की नहीं उनकी डिग्रियां और स्टेटस की हो रही है।

और फिर हम दुबारा नहीं मिले, जाते जाते उनसे पूछना भूल गया की एक चाय के लिए चलना था वो कहते है न की कुछ ख्वाईसें अधूरी ही छूटी जाती है।

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